वो तो बिन जाप तापसे
( दो हंसो का जोडा ... )
वो तो बिन जाप - तापसे
दर्श दियो है ।
मेरे राघव को काहे
बदनाम कियो है ? ?
किसने देखा , कुब्जाने
न्हाये - धोये तप किये ?
किसने सुना ,
भिल्लिनीने यज्ञ - त्याग
- जप किये ??
कौन कहे , हाथि ने
ब्रह्म - भोज दान दिये ?
कौन कहे , केवट ने
ध्यान - ब्रह्मज्ञान किये ??
प्रेम - भक्ति देख
प्रभू तार दियो है ! ॥ १ ।।
गिद्ध कौन शुद्ध रहा ,
व्याध कौन बुद्ध रहा ।
वेश्या कौन निर्मल थी ,
नायीन नहायी कहाँ ? ?
कालियोको कौन ज्ञान ,
बिदुरनी को कौन भान ?
' पत्थर में कौन जान ,
अजामिलको कौन ध्यान ??
सुदामाने कितनी धन
दान दियो है ? ॥२ ।।
जात - पाँत देख प्रभू
मानव को तारता ।
बिना योग- याग नहीं ,
काहुँको उद्धारता ॥
सुन्दर शरीर - बिना
प्रभू ना निहारता ।
देखो साख इतनों की ,
झूठ नहीं वारता ॥
कहे दास तुकड्या ,
गँवाह दियो है ! ॥ ३ ॥
अयोध्या ; दि . १२-८-६२
टिप्पण्या
टिप्पणी पोस्ट करा